Diwali School Holidays: स्कूलों में 12 दिन की छुट्टी, आदेश का उल्लंघन करने पर कार्रवाई

Diwali School Holidays:  इस दिवाली पर बच्चों के चेहरों पर सिर्फ दीयों की नहीं, बल्कि छुट्टियों की भी चमक होगी। शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि 13 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक सभी सरकारी और निजी स्कूलों में 12 दिन का दिवाली अवकाश रहेगा

हालांकि, जहां बच्चों और अभिभावकों ने इस फैसले को उत्सव का तोहफा बताया है, वहीं कई प्राइवेट स्कूल संचालक इस आदेश को अव्यवहारिक मान रहे हैं। उनका कहना है कि इतने लंबे अवकाश से सिलेबस अधूरा रह जाएगा और शिक्षण सत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

शिक्षा विभाग का आदेश

राजस्थान शिक्षा विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि

“राज्य के सभी सरकारी और निजी विद्यालय 13 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक दिवाली अवकाश पर रहेंगे। इस अवधि में कक्षाओं का संचालन वर्जित रहेगा। आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित संस्था के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”

विभाग के मुताबिक, बढ़ते प्रदूषण और उत्सव की तैयारियों को देखते हुए स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया गया है ताकि विद्यार्थी परिवार संग त्यौहार मना सकें और पर्यावरणीय सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके।

स्कूल संचालकों की प्रतिक्रिया: “सिलेबस अधूरा रह जाएगा”

कई निजी और प्राइवेट स्कूल संचालकों ने इस निर्णय को लेकर असंतोष जताया है। उनका कहना है कि लंबे अवकाश के कारण शिक्षण सत्र में असंतुलन उत्पन्न हो जाएगा।

संचालकों और शिक्षकों के बयान

अनिता सोनी (आदिनाथ जैन बीएड कॉलेज):

“इस सत्र में पहले ही बारिश, प्रदूषण और प्रतियोगी परीक्षाओं की वजह से कई दिनों तक स्कूल बंद रहे। अब इतने लंबे दिवाली अवकाश से विद्यार्थियों का नुकसान होगा। सरकार को अवकाश कम करना चाहिए या प्राइवेट स्कूलों को छूट देनी चाहिए।”

डॉ. वैभव गुप्ता (प्रधानाचार्य, चिल्ड्रन एकेडमी):

“18 अक्टूबर तक स्कूल चलते रहने चाहिए और 19 से 23 अक्टूबर तक ही छुट्टी पर्याप्त होगी। लगभग छह दिन पहले ही इस सत्र में स्कूल प्रतियोगी परीक्षाओं के कारण बंद रहे हैं।”

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मोना दुबे (प्रधानाचार्य, ओसवाल स्कूल):

“बच्चों की पढ़ाई की निरंतरता सबसे जरूरी है। सर्दी, प्रदूषण और अन्य कारणों से सालभर में बार-बार स्कूल बंद रहते हैं। अधिक अवकाश देने से बच्चों पर अकादमिक दबाव बढ़ जाता है।”

शिक्षा विशेषज्ञों की राय

शिक्षा से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को सालभर के शिक्षा कैलेंडर को इस तरह से तैयार करना चाहिए कि दिवाली या शीतकालीन अवकाश जैसी लंबी छुट्टियाँ पाठ्यक्रम पर असर न डालें।

डॉ. नरेंद्र चौहान (शिक्षा नीति विश्लेषक) कहते हैं —

“अवकाश जरूरी हैं, लेकिन शैक्षणिक सत्र की निरंतरता भी उतनी ही आवश्यक है। शिक्षा विभाग को छुट्टी नीति को संतुलित करना चाहिए ताकि पढ़ाई और उत्सव दोनों में संतुलन बना रहे।”

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